ख्वाबों में आती हैं वो बाते सुहानी.......।
न जाने क्यों मुझसे रूठी रहती हैं.........
हमारी-तुम्हारी वो बातें पुरानी.............।
मुझको नहीं तनिक भी शऊर...............
जो कह पाऊँ वो बातें जुबानी................।
मुझको तो बस मोहब्बत है तुमसे.........
नहीं आती कहनी वो बातें रूमानी..........।।
................................................ गोपाल कृष्ण शुक्ल
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