धोखा पहले पाप था अब दस्तूर हो गया
आँख होते हुए अँधापन भरपूर हो गया।
बुरा भी है वोह पर छोड़ता कोई नहीं उसे
आमों-खास का आज वो ही नूर हो गया।
सिर झुका के किसी को खुदा बना लिया
दिखाकर चालाकियाँ वो मशहूर हो गया।
दिल की प्यास लिये चलते मुद्दत गुजरी
न बुझेगी प्यास दिल चकनाचूर हो गया।
हवाओं में विष घुला सावन भी रूठ गया
पीड़ा हुई संगनी जाने क्या कसूर हो गया।
........................................... गोपाल कृष्ण शुक्ल