Sunday, March 2, 2014

{ २८७ } आओ धनुर्धर आओ !






आओ धनुर्धर आओ !

करोड़ो-जन
यहाँ गिन रहे हैं
समस्याओं के बियावान के
पेड़-पौधे-पत्ते।

करोड़ो-जन
यहाँ प्रतीक्षा कर रहे हैं
उस धनुर्धारी अर्जुन की
जो आये
और निराकरणरूपी चिड़िया की
आँख को लक्ष्य कर
शर-सँधान करे।

आओ धनुर्धर आओ ।


--------------------------- गोपाल कृष्ण शुक्ल

3 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन ट्रेन छूटे तो २ घंटे मे ले लो रिफंद, देर हुई तो मिलेगा बाबा जी का ठुल्लू मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. एक आँख हो तब तो आये .....

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  3. इतना कुछ भेदना आसाँ नहीं होगा आज ...

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