नारी ! तुमको मेरा नमस्कार।।
तुमने सदियों से दुख सहकर
तुमने पीडा, कष्टों में रहकर
अपने अरमानों का वध कर
प्रत्येक क्षुधा को तृप्त कर
हैं किये सदा ही परोपकार।
नारी ! तुमको मेरा नमस्कार।।१।।
तुम मानुष को जीवन देती हो
तुम जीवन को पोषित करती हो
इस सृष्टि का आधार तुम ही हो
भूतल की रचनाकार तुम ही हो
तुमने जन-जन को दिया प्यार।
नारी ! तुमको मेरा नमस्कार।।२।।
संतुष्टि भाव बना तुम्हारा संबल
परोपकार का चाव लिये प्रतिपल
तुम धारा सम बहती हो कल-कल
नारी तुम हो निच्छल, निर्मल जल
नहीं भूली तुम अपने संस्कार।
नारी ! तुमको मेरा नमस्कार।।३।।
......................................... गोपाल कृष्ण शुक्ल
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