वैसे हम पर तुम्हारे बहुत एहसान हैं
फ़िर कैसे कहे हम बहुत परेशान हैं।
आँख में सजा लिया ये सुनहरा मंजर
आगे राह में सँगरेजे और बियाबान हैं।
मौत आनी है एक दिन, आएगी जरूर
पर अब और जीने में बहुत नुकसान है।
पीछे गहरा समन्दर है, आगे बियाबान
बीच राह में छोड गया मेरा मेहरबान है।
बिछी अजीब बिसात दरम्याने-ज़िन्दगी
ज़िन्दगी और मौत के बीच नीम-जान हैं।
------------------------------ गोपाल कृष्ण शुक्ल
१- नीम-जान = बीमार अवस्था
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