ऐसे बस जाते हैं दिल में याद आने के लिये
नये-नये चेहरे, पुरानों को भुलाने के लिये।
पर उसकी वो अदा यादों से जाती ही नही
वो रूठ जाते है फ़िर से मुस्कुराने के लिये।
आँखों का दर्द थम कर फ़िर से छलक पडा
नाकाम कोशिशें तमाम की छुपाने के लिये।
मुस्कुराकर न इतराया करो बहारों पर कभी
कब चले हवा का झोंका सब उडाने के लिये।
फ़िर भी वो दिल पर दस्तक दे रहे बार-बार
बची टूटी सी इमारत उनको दिखाने के लिये।
----------------------------------- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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