Tuesday, September 11, 2012

{ १९२ ) सपने सिर्फ़ सपने रह जायेंगे






मात खाते हैं हम
अपने टूटे हुए सपनों से
जो टूट कर
खँडहर बन कर
धरे के धरे रह जाते हैं,
हमको यह याद दिलाने के लिये
कि
स्थाई कुछ भी नहीं
न हम,
न तुम,
न ही कोई और........

यह तन तो बस आवरण मात्र है
अपनी आयु पूर्ण कर
फ़िर माटी हो जायेगा
और हमारे सपने
सिर्फ़ सपने ही रह जायेंगे।
सिर्फ़ सपने ही रह जायेंगे।।


............................ गोपाल कृष्ण शुक्ल

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