इंसान का ईमान मर गया है
क्योंकि इंसान बिक गया है।
कुछ इंसान सस्ते में बिक जाते हैं
कुछ इंसानों की कीमत बहुत ऊँची है।
ईमान को इंसान ने
बाजार में बिकने के लिये
सजा रखा है।
इंसान का रक्त
ठँडा हो चुका है।
इंसान
अब अपने ही पसीने में
दुर्गंध महसूस करता है।
इंसान
अब ईमान की सौगंध
नही खाता।
क्योंकि
इंसान का ईमान
बिक चुका है।
मर चुका है।।
............................... गोपाल कृष्ण शुक्ल
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