हृदय की रिक्तता का
अगर बोध हो करना
देखना स्वयं को
और मनन करना।।
हृदय की महानता का
अगर बोध हो करना
देखना किसी महान को
और सम्मान करना।।
रिक्तता और महानता का
अगर अन्तर हो नापना
अपने और उनके अन्तर को
हृदय से अनुमान करना।।
................................. गोपाल कृष्ण शुक्ल
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