पाँखुरी
Saturday, May 26, 2012
{ १७१ } ज़िन्दगी की लक्ष्मण रेखा
ज़िन्दगी स्वयं की
लक्ष्मण रेखा में
कैद है।
जब तक मृत्यु
उसे जबरन
अपने आगोश में
नहीं ले लेती है
उसे कैद ही रहना है।
उसे जीना ही है
उसी सकरे से
दायरे में........।
मगर
फ़िर भी
उसका नाम है
ज़िन्दगी।।
......................... गोपाल कृष्ण शुक्ल
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