Monday, April 2, 2012

{ १२७ } दस्तक





दिल में बस गये इस तरह याद आने के लिये
कुछ नये-नये चेहरे पुरानों को भुलाने के लिये।

उनकी यह मस्त सी अदा यादों से जाती नही
रूठते रहते हैं वो फ़िर से मुस्कुराने के लिये।

आँखों मे दर्द थम कर अश्कों के संग बह गया
कोशिशें नाकाम ही रहीं उन्हे छुपाने के लिये।

इस तरह न इतराओ इन बहारों के लिये कभी
कब आये झोंका आँधियों का सब उडाने के लिये।

उनके दिल की दीवारों पर दस्तक दे रही सदायें
मेरे टूटे दिल की तस्वीर उन्हे दिखाने के लिये।


............................................ गोपाल कृष्ण शुक्ल


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