हुआ है मेरा दिल दीवाना करता है हाय हाय
कोई नही है जो मेरे लिये प्रेम तराना गाये।
..................... दिल करता है हाय हाय।।
तकदीर भी बना गई है मुझे ऐसा वीराना
हर शमा जिसका बदन ही झुलसाती जाये।
......................दिल करता है हाय हाय।।
वृदावन बरसाने में ढूँढा मैने गलियों गलियों
मिली नही मेरी राधा जो मेरे संग रास रचाये।
.........................दिल करता है हाय हाय।।
राधा बिन मै विराना बस रोता रहता निश-दिन
मुझ गरीब की सुने न कोई सब मन मे मुस्काये।
.............................दिल करता है हाय हाय।।
......................................... गोपाल कृष्ण शुक्ल
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