काँटों की परिभाषा क्या है ?
क्या तुम जानते हो ?
काँटों की भाषा क्या है ?
क्या यह भी तुम समझते हो ?
काँटों की भाषा को समझना
एक कला है।
इसको जीवन जीने की
कला भी कह सकते है।
काँटों की अपनी
कोई बोली नही होती,
वह तो
आप जैसा समझते हैं
वैसा ही बोलती है।
हाँ
यह जरूर है कि
काँटों की भाषा समझने पर ही
सुखद-स्पर्श की परिभाषा
समझ में आती है।
पुष्प-स्पर्श की
कोमलता का आभास
हमको तभी होता है
जब हम
काँटों की चुभन को
पहचानते हैं।
उससे उठने वाली
टीस को महसूस करते है।
यही काँटों की भाषा है
और यही काँटों की परिभाषा।।
.................................. गोपाल कृष्ण शुक्ल
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