ज़िन्दा रहने के लिये जरूरी है मए-पैमाना कोई
क्या यूँ ही बेवजह कहीं जाता है मयखाना कोई।
जरूरी है क्या मौत की वजह बताओ शराब को
मौत को तो मिल ही जायेगा नया बहाना कोई।
दर्दो-गम, दिले-जख्म और दुनियावी फ़रेबों को
मेरे शिकस्ता दिल से हटाता है मए-पैमाना कोई।
इन सागरो-मीना को अभी न हटाओ सामने से
बहुत याद आ रहा है आज पुराना याराना कोई।
ऐ दोस्तों, ये पैमाने मोहब्बत का भरम पाले है
वरना आता नहीं मेरे पास इश्के-दीवाना कोई।
............................................................. गोपाल कृष्ण शुक्ल
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