Friday, September 30, 2011
{ ५२ } जीना आ गया
Friday, September 23, 2011
{ ५१ } तमन्ना
Monday, September 19, 2011
{ ५०} मै साथ हूँ
चाहत के हर मुकाम पर मैं साथ हूँ
हो गैरों की ही भीड पर मै साथ हूँ।
पलकों पर तो सजाया है तुमने मुझे
आँखों मे रोशनी की तरह मै साथ हूँ।
उल्फ़त में कुर्बान हो जाए मेरी दुनिया
पर हर अंजामे-मोहब्बत मे मै साथ हूँ।
मंजिल हम अपनी एक दिन पा जायेंगे
हमसफ़र राह पर चला चल, मैं साथ हूँ।
किस्मत हो मेहरबान या कि दगा दे जाये
पर हर तूफ़ाँ में साहिल तक, मै साथ हूँ।
............................................. गोपाल कृष्ण शुक्ल
Wednesday, September 14, 2011
{ ४९ } प्यार अब और किसी का है
Saturday, September 10, 2011
{ ४८ } मुकद्दर
किसी को ताज मिलता है तो किसी को मौत मिलती है
देखना है प्यार में मेरा मुकद्दर मुझको क्या दिलाती है|
अब भी उस हसीन जिन्दगी को आइना दे सकता हूँ मैं
पर वो तो मुझ पर सिर्फ तोहमत कि बरसात कराती है|
होठों में गज़ल, सलोने सपने आँखों में उसकी भर दूँ मै
पर न जाने क्यों वो इन चांदनी रातों को अँधेरी बनाती है|
सनम के संगेदिल में सुर्ख फूल मैं एक खिलाना चाहता हूँ
करिश्मा इश्क का इधर है, वो मोहब्बत उसे कहाँ लुभाती है|
मेरा दिल जो खँडहर सा उजडा पड़ा है आ कर संवार दो उसे
जानता हूँ जब भी तुम आती हो, जन्नत खुद से शरमाती है|
................................................................ गोपाल कृष्ण शुक्ल