किसी को ताज मिलता है तो किसी को मौत मिलती है
देखना है प्यार में मेरा मुकद्दर मुझको क्या दिलाती है|
अब भी उस हसीन जिन्दगी को आइना दे सकता हूँ मैं
पर वो तो मुझ पर सिर्फ तोहमत कि बरसात कराती है|
होठों में गज़ल, सलोने सपने आँखों में उसकी भर दूँ मै
पर न जाने क्यों वो इन चांदनी रातों को अँधेरी बनाती है|
सनम के संगेदिल में सुर्ख फूल मैं एक खिलाना चाहता हूँ
करिश्मा इश्क का इधर है, वो मोहब्बत उसे कहाँ लुभाती है|
मेरा दिल जो खँडहर सा उजडा पड़ा है आ कर संवार दो उसे
जानता हूँ जब भी तुम आती हो, जन्नत खुद से शरमाती है|
................................................................ गोपाल कृष्ण शुक्ल
मेरा मुकद्दर मुझको क्या दिलाती है...
ReplyDeleteबढ़िया अशआर भईया...
सादर बधाई...