Friday, May 27, 2011

{ ३८ } मेरा दिल







हाले-दिल पूछकर, कर दिया आपने इलाजे-दिल,

जान कर इरादा आपका, मचल गया है मेरा दिल।


शाम ढले जोगन ने इन कानों मे मधुरस घोल दिया

मन-मंदिर बाँसुरि बाजे, देखो नाच रहा है मेरा दिल।


आते सर्दी-गर्मी, सावन-भादों, पतझड और बसन्त,

देख रंग-बिरंगे मौसम को मचल गया है मेरा दिल।


घनघोर घटा छाई सब ओर हरियाली ही हरियाली है,

बारिश करे अपने करतब, हिलोर गया है मेरा दिल।


जिसकी भीनी-भीनी खुश्बू से जानो-जिस्म महकते है,

ऐसा फ़ूल लिये फ़िरती हो, बेचैन हो रहा है मेरा दिल।


ये कैसी मस्त बहार लाये हो गुलशन मे मेरे ऐ बागबाँ,

रसभीनी मधुर मदन बयार मे मयूर सा नाचे मेरा दिल।।




.............................................................. गोपाल कृष्ण शुक्ल




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