Saturday, May 14, 2011

{ ३५ } गिला क्या है







मोहब्बत करने वाले तुम्हे पता क्या है,

तुम्हारी किस्मत मे रब ने लिखा क्या है।


बीत जायेगी सारी उम्र, न जान पायेगा,

होठो पर किसके, दुआ-बददुआ क्या है।


दर्द अपने दिल का काबू मे कर लेगा तू,

मुश्किल है जानना पलकों पे रुका क्या है।


चार पल किसी ने हंसकर साथ गुजारे नही,

और तुझको इस किस्मत से गिला क्या है।


सिर्फ़ गहरी तनहाइयो मे ही तो रहता है तू,

बता पाओगे राहत या सितम, मिला क्या है।



..................................................... गोपाल कृष्ण शुक्ल



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