क्यों मेरे साथ दिल्लगी की है।
हम ने बरसों जिगर जलाया है
फिर कहीं दिल में रोशनी की है।
आप से दोस्ती का एक हासिल
सारी दुनिया से दुश्मनी की है।
लोग मरते हैं ज़िन्दगी के लिये
हमने मर मर के ज़िन्दगी जी है।
हम को तो मारा है ज़िन्दगी ने
लोग कहते हैं खुदकुशी की है।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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