पाँखुरी
Sunday, September 25, 2022
{३५६ } लौट कर नहीं आते कभी ये
ठहरता नहीं कोई पल
ठहरता नहीं कोई कल
ठहरता नहीं बहता हुआ जल
ठहरती नहीं हवा की हलचल
क्यों देख कर रहा है मचल
क्यों हो रहा है यूँ बेकल
लौट कर नहीं आते कभी ये
पल, कल, जल और हवा की हलचल।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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