Sunday, December 6, 2015

{ ३१७ } मेरे हमदम




कैसे भुला सकेंगें
गुजरा है जो वक्त
संग अपने.........

तब खुली आँखों से
देखे थे
हमने तुमने
जो अनगिनत सपने................

कोई फ़र्क नही है
मेरे हमदम
तुझमे और मुझमें...........

हुए हैं बेजार
जब से
तुम मुझको भूले
और मैं भूला तेरे नगमें..........।।

.......................................... गोपाल कृष्ण शुक्ल


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