राजघाट के कब्रिस्तान से
उठकर आओ _____
और देखो
इन खण्डहरों में
तमाम दुश्वारियों की
भट्ठी में भुनकर
चिथड़ों मे लिपटे
औरत और मर्द,
बूढ़े, जवान और बच्चे
मूक होकर निहार रहे हैं
आकाश की थाली में पड़े
दुर्गन्धयुक्त चाँदनी के साथ
चाँद सी जली रोटियाँ ______
शायद
राम नाम का सत्य अब यही बचा है
और शायद आज का
राम राज्य भी यही है।।
---------------------------------- गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment