तू मुसाफ़िर..................
किसकी याद सताये तुझे
किसके बिना तेरा पल न बीते
कौन सा दुख छुपाये तेरी आँखें
छोड जमाने के इन मंजरों को
तू है मुसाफ़िर
सिर्फ़ मुसाफ़िर
तू मुसाफ़िर.....................।।
......................................... गोपाल कृष्ण शुक्ल
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