देख मेरा प्रेम में महकना
भूल गये तारे भी छिपना
दिल भी भूल गया है घात
आओ सजनि ! आई है मिलन की रात।।१।।
आओ मिल कर गाये राग मल्हार
छा जायेगी फ़िर से जीवन में बहार
सजनि आओ करे कुछ बात
आओ सजनि ! आई है मिलन की रात।।२।।
खुशियों के दिन दूर नही हैं
मुझको अब मंजूर नहीं है
सजनि तेरे नयनों की बरसात
आओ सजनि ! आई है मिलन की रात।।३।।
भँवरा मन ही मन झूम रहा है
कलियों का मुख चूम रहा है
खिल उठा है हर गुल हर पात
आओ सजनि ! आई है मिलन की रात।।४।।
.............................................. गोपाल कृष्ण शुक्ल
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