पाँखुरी
Sunday, April 22, 2012
{ १३७ } क्यों.....??
शजर हरा-भरा, पर
एक भी पत्ता नही,
जवाँ है हौसला, पर
खुद पर भरोसा नहीं,
सभी अपने ही हैं, पर
किसी से रिश्ता नहीं,
फ़रिश्ते भी रो रहे हैं
शैतान क्यों सोता नही।।
...................... गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment