अजीब हालातों से लोग गुजर रहे हैं आज
दिल की आवाजों से लोग डर रहे हैं आज।
किससे अपना हाल कहूँ, सब ही बेहाल हैं
लोग साँसे गिन-गिन कर मर रहे हैं आज।
सूरज ही मिटाता, अँधियारा इस जमीं का
उस सूरज को लोग काला कर रहे हैं आज।
आइनों में अजनबी ही अजनबी दिख रहे हैं
अपने ही अक्स से किनारा कर रहे हैं आज।
सो चुकी है आँखों में ही चाहतों की उलझने
अन्धे दौर में ही लोग सफ़र कर रहे हैं आज।
.................................. गोपाल कृष्ण शुक्ल
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