वो वीरान जुदाई का बागेवस्ल बनेगा
यादों मे आ के कोई ये बताने लगा है।
दूरी के दर्द से ज्यादा पहलू-ए-मौसम,
उसमे डूब जाने को दिल सताने लगा है।
यादों मे आ के कोई ये बताने लगा है।
दूरी के दर्द से ज्यादा पहलू-ए-मौसम,
उसमे डूब जाने को दिल सताने लगा है।
अनजाने ही हुआ करते करिश्मे रूह के
गुमराहों को आपस मे मिलाने लगा है।
इस प्यार के फ़रिश्ते का कमाल देखिये
हुस्न खुद उसके नजदीक आने लगा है।
उसे मेरा करीब होना रास आने लगा है
सूरत मे फ़िर से रंगे-इश्क छाने लगा है॥
............................................. गोपाल कृष्ण शुक्ल
वाह भाई जी, यादों में आ के कोई ये बताने लगा है ... वाह वाह
ReplyDelete