पाँखुरी
Wednesday, January 4, 2023
{४१२} चाँद जल रहा है
हवा में भरी तेजाबी चुभन
चाँद भी जल रहा है,
तड़पती चाँदनी को देख
दिल भी दहल रहा है,
आवाजों को घेरे हुए
शहरों में पसरे हैं सन्नाटे,
बेवफा हुआ मंजर,
मोहब्बत निगल रहा है।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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