छा गये भारत में दहशत जमाने वाले
अपने ही चमन को आग लगाने वाले।
गूँजती गुलशन में आवाज साँय-साँय
ये शख्स हर बात, हवा में उडाने वाले।
मुश्किलें आसान करना फ़ितरत नही
ये ठहरे, कोरे अफ़सोस जताने वाले।
बेचैन ज़िन्दगियों को देते नही सुकून
ये ठहरे घडियाली आँसू सजाने वाले।
कर्तव्य, देश-भक्ति से सरोकार नही
ये ठहरे सिर्फ़ तिजोरियाँ सजाने वाले।
दिल द्रवित न होते देखकर भुखमरी
ये हैं गरीबी पर अचरज जताने वाले।
......................................... गोपाल कृष्ण शुक्ल