दिल को बहलाने की अच्छी तदबीर है
वो नहीं न सही, साथ उसकी तस्वीर है।
उसके चेहरे की चमक रहती कुछ ऐसी
जैसे चाँद की चाँदनी उसकी जागीर है।
उसका प्यार मेरे लिये है हसीन ख्वाब
इस ख्वाब में ही जीना मेरी तकदीर है।
शायद कम न होगा दिलों का फ़ासला
हाथों मे छपी नहीं मिलन की लकीर है।
मेरी मोहब्बत का है मुकद्दर कुछ ऐसा
इश्क ने उठा रखी हाथों में शमशीर है।
.............................................. गोपाल कृष्ण शुक्ल